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ये कहानी है सात साल के सुशील की। वो बहुत ही सीधा सादा बच्चा था। दो साल पहले उसके पिता की मौत सांप काटने से हो गई थी। पति के अचानक गुजर जाने पर सुशील की मां को गहरा सदमा पहुंचा। वो बिल्कुल खामोश रहने लगी। खाना पीना भी लगभग छोड़ दिया। एक दिन उसकी भी ?

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मंगतराम घर के द्वार पर बेचैनी से टहल रहा था। घर के अंदर उसकी बीवी प्रसव वेदना से कराह रही थी गांव की दाई अंदर उसकी बीवी के पास उसकी मदद कर रही थी। ये मंगत की चौथी संतान थी। इससे पहले भी उसकी तीन बेटियां थीं। मंगत को इस बार बेटा पैदा होने की पूरी उम्मीद थी।

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तो फाइनली हमने प्लान को अंजाम दे ही दिया। येस ही यह भिक्षु। तुमको देखा तो ये खयाल आया यार विक्की सौंग चेंज करो हम घूमने जा रहे हैं कमाल। हां यार कोई अच्छा गा नगांव इत्ती मुश्किल से तो इस लाइफ स्टाइल से निकलना होता है यहां तू ये सब सुना रहा है।
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